Govt. P.D. Commerce & Arts College Raigarh

महाविद्यालय का इतिहास

15 अगस्त 1965 के पहले रायगढ़ नगर में वाणिज्य विषय का कोई भी महाविद्यालय नहीं था, इस क्षेत्र के अच्छे विद्यार्थी जिन्हें बी. काम. या एम.काम. करना होता था वे बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, जबलपुर, नागपुर आदि शहरों में जाकर पढ़ाई किया करते थे, जिससे धन एवं समय का बर्बादी होता था, एवं गरीब वर्ग के विद्यार्थी बाहर ही नहीं जा पाते थे, उक्त तथ्यो को ध्यान में रखते हुए पालूराम जी धनानिया स्मृति मेमोरियल ट्रस्ट ने, एक प्रस्ताव पास कर सेठ किरोड़ीमल चैरिटी ट्रस्ट से किराए का भवन लेकर, महाविद्यालय स्थापना की नींव रखी एवं स्वर्गीय भागीरथ लाल जी गुप्ता के स्वर्गीय पिता सेठ पालूराम जी धनानिया की स्मृति में रायगढ़ में वाणिज्य महाविद्यालय की स्थापना 15 अगस्त 1965 को की गई, तथा प्रथम प्राचार्य के रूप में स्वर्गीय नंद लाल जी शर्मा प्राप्त हुए जिन्होंने लगभग 17 वर्षों तक इस महाविद्यालय की सेवा की ।

महाविद्यालय 7 विद्यार्थियों से शुरू होकर 1981 – 82 में 1100 की संख्या को पार कर चुका था, कालांतर में विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ती गई, 1969 में इस महाविद्यालय में छात्र हित को देखते हुए कला संकाय की पढ़ाई प्रारंभ हो गई । शिक्षकों की संख्या में लगातार वृद्धि एवं विद्यार्थियों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई । महाविद्यालय का स्वरूप लगातार बढ़ता चला गया ऐसी स्थिति में जाने – अनजाने पालूराम धनानिया मेमोरियल समिति इस महाविद्यालय को संचालित करने में असक्षम सी होने लगी, तथा महाविद्यालय के अध्यापक गण ने भी इस महाविद्यालय को शासनाधीन किए जाने की मांग करने लगे विद्यार्थियों ने भी महाविद्यालय को शासनाधीन किए जाने हेतु हड़ताल, आंदोलन एवं मध्य प्रदेश के तत्कालीन राजधानी भोपाल जाकर धरना प्रदर्शन किया, क्रमिक भूख हड़ताल की प्रशासन ने उन पर लाठी, डंडे बरसाए । अंततः शिक्षा जगत में एक सुखद परिणाम का सूर्योदय हुआ एवं मध्य प्रदेश शासन ने इस महाविद्यालय को अपने हाथों में लेने का मन बना लिया, लगभग 2 वर्षों तक शासकीय औपचारिकताएं पूरी की जाती रही आवश्यक जांच पड़ताल किया जाता रहा शासन स्तर पर बैठक होती रही।

महाविद्यालय को शासनाधीन कराने में रायगढ़ की प्रबुद्ध जनता, पत्रकार, छात्र नेता, राजनेता, महाविद्यालय का शिक्षक समुदाय, कर्मचारीगण, जिला प्रशासन, पालूराम धनानिया मेमोरियल समिति के सम्मानित सदस्य, सभी ने सामूहिक प्रयास किया। अंततः सम्मिलित प्रयासों का एक सुखद परिणाम दिनांक 1.10.1986 को आया कि महाविद्यालय शासनाधिन हुआ एवं महाविद्यालय का एक शासकीय संस्था के रूप में पुनर्जन्म हुआ। महाविद्यालय के शासकीय करण के समय तात्कालिक प्राचार्य प्रोफ़ेसर बी. आर. राठी रहे, जो प्रख्यात विद्वान हैं । तथा आज भी रायगढ़ में एक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसी प्रकार इस महाविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए प्रोफेसर आर. पी. अग्रवाल, प्रोफेसर परमानंद मेहर, प्रोफेसर सुश्री चंद्रभागा वर्मा, प्रोफेसर भागीरथी पटेल, प्रोफेसर महेंद्र सिंह खनूजा, इसी नगर में निवास करते हुए अपने सानिध्य में आने वाले को आलोकित कर रहे हैं। महाविद्यालय आज 1156 विद्यार्थियों सहित वाणिज्य एवं कला के क्षेत्र में स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्रदान करते हुए सामाज की सेवा कर रही रही हैं । सत्र 2017- 18 से ही इस महाविद्यालय में विधि संकाय के अंतर्गत बीएएलएलबी पंचवर्षीय पाठ्यक्रम की शुरुआत शासन के निर्देशानुसार की गई है, जो सफलतापूर्वक 1 नवंबर 2017 से संचालित हो रही है।